निर्देश (प्र. सं. 66-71 ) निचे दिए गधांश को पढ़कर पूछे प्रशनो के उचित उत्तर वाले विकल्प चुनिए
मन मोहनी प्रकृति की गोद में जो बसा है
सुख- स्वर्ग सा जहाँ है वह देश कौन सा है
जिसका चरण निरंतर रत्नेश धो रहा है
जिसका मुकुट हिमलाय वह देश कौन सा है
नदियाँ जहाँ सुधा की धारा बहा रही है
सींचा हुआ सलोना वह देश कौन सा है
जिसके बड़े रसीले फल कन्द नाज मेवे
सब अंग में सजे है वह देश कौन सा है
जिसमें सुगंध वाले सुन्दर प्रसून प्यारे
दिन रात हँस रहे है वह देश कौन सा है
निर्देश (प्र. सं. 121-127) नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प को चुनिए|
शिक्षा आज दुविधा के अजब दोराहे पर खड़ी है| एक रास्ता चकाचौंध का है, मृगतृष्णा का है| बाजार की मृगतृष्णा शिक्षार्थी को लोभ-लालच देकर अपनी तरफ दौड़ाते रहने को विवश करने को उतारू खड़ी है| बाजार के इन ललचाने वाले रास्तों पर आकर्षण है, चकाचौंध है सम्मोहित कर देने वाले सपने हैं| दूसरी तरफ शिक्षा का साधना मार्ग है.जो शान्ति दे सकता है, सन्तोष दे सकता है और हमारे आत्मत्व को प्रबल करता हुआ विमल विवेक दे सकता है| निश्चित ही वह मार्ग श्रेयस्कर है, मगर अपनी ओर आकर्षित करने वाले बाजार का मार्ग प्रेयस्कर है| इस दोराहे पर खड़ा शिक्षार्थी बाजार को चुन लेता है| लाखों-करोड़ों लोग आज इसी रस्ते के लालच में आ गए हैं और शिक्षा के भँवरजाल में फँस गए हैं| बाजार की खूबी यही है कि वह फँसने का अहसास किसी को नहीं होने देता और मनुष्य लगातार फँसता चला जाता है| किसी को यह महसूस नहीं होता कि वह दलदल में है, बल्कि महसूस यह होता है कि बाजार द्वारा दिए गए पैकेज के कारण वह सुखी है| अब यह अलग बात है कि सच्चा सुख क्या है? और सुख का भ्रम क्या है? जरूरत विचार करने की है| सवाल यह हे कि बाजार विचार करने का भी अवकाश देता हे या नहीं|
12. गद्यांश के आधार पर कहा जा सकता है कि
14. "दूसरी तरफ शिक्षा का साधना मार्ग है" तो पहली तरफ क्या है?
15. लेखक ने शिक्षा के सन्दर्भ में किस बात को महत्व दिया है?