निर्देश (प्र. सं. 86-90) निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए |
कबीर ने समाज में रहकर समाज का समीप से निरिक्षण किया | समाज में फैले बाह्याडंबर, भेदभाव, साम्प्रदायिकता आदि का उन्होंने पुष्ट प्रमाण लेकर ऐसा दॄढ विरोध किया कि किसी की हिम्मत नहीं हुई जो उनके अकाट्य तर्को को काट सके| कबीर का व्यक्तित्व इतना ऊँचा था कि उनके सामने टिक सकने की हिम्मत किसी में नहीं थी | इस प्रकार उन्होंने समाज तथा धर्म की बुराइयों को निकाल-निकालकर सबके सामने रखा, ऊँचा नाम रखकर संसार को ठगनेवालों के नकली चेहरों को सबको दिखाया और दीन-दलितों को ऊपर उठने का उपदेश देकर, अपने व्यक्तित्व को सुधारकर सबके सामने एक महान आदर्श प्रस्तुत कर सिद्धांतों का निरूपण किया| कर्म, सेवा, अहिंसा तथा निर्गुण मार्ग का प्रसार किया | कर्मकाण्ड व मूर्तिपूजा का विरोध किया | अपनी साखियों, रमैनियों तथा शब्दों को बोलचाल की भाषा में रखकर सबके सामने एक विशाल ज्ञानमार्ग खोला | इस प्रकार कबीर ने समन्वयवादी दृष्टिकोण अपनाया और कथनी-करनी एकता पर बल दिया | वे महान युगद्रष्टा, समाज सुधारक तथा महान कवि थे | उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम के बीच समन्वय की धारा प्रवाहित कर दोनों को ही शीतलता प्रदान की |
0. कबीर के अकाट्य तर्को को काटने की क्षमता किसी में नहीं थीं, क्योंकि